रविवार, 10 जून 2012

जयहिंद

जो भी है जहाँ,
सच्चा भारतवासी
समर्पित है
अपने राष्ट्र के लिए .

केवल कविता नहीं
इस देश का सच है यह.

सिपाही समर्पित हैं
सरहद पर,
किसान समर्पित हैं
खेत में,
मजदूर कारखानों में.
माताएँ समर्पित हैं घरों में,
बच्चे विद्यालयों में.
दुनिया के सबसे सुंदर दिमाग
प्रयोगशालाओं में -
युवक और युवतियाँ
सभी.

नया सपना -
रचेंगे नई दुनिया
अपने पसीने की
एक-एक बूँद से......;
लिखेंगे खून के एक-एक कतरे से -
जयहिंद!

-पूर्णिमा शर्मा 

[यह कविता सन २००२ ई. में लिखी गई थी.]