मंगलवार, 1 मार्च 2016

महँगाई


रोटी-रोजी की व्यवस्था के लिए जीवन की आपाधापी में लगे साधारण नागरिक के जीवन को जो चिंताएं कै जाती हैं, उनमें ‘महँगाई’ का स्थान संभवतः सबसे ऊपर है. आम नागरिक रूपी हनुमान की विकास-यात्रा के मार्ग में मुँह फाड़े बैठी सुरसा है – महँगाई. अर्थशास्त्र की शब्दावली में, वस्तुओं और सेवाओं के दामों में स्थिर वृद्धि को महँगाई कहते हैं. इससे मुद्रा की खरीद-शक्ति कम होती है. अर्थ-व्यवस्था में विकास बनाए रखने के लिए सकारात्मक महँगाई का बने रहना आवश्यक माना जाता है. भारत जैसे विकासशील देश में महँगाई कम रखने पर विकास की दर भी कम हो जाती है. उदहारण के लिए अगर मकानों के दाम गिरने लगते हैं, या अगर दाम गिरने का अंदेशा भी होता है – तो लोग मकान खरीदना बंद कर देते हैं. इससे दाम और भी गिर जाते हैं और जिन बैंकों ने इन घरों के लिए लोन दिए थे उन्हें बहुत घाटा होता है क्योंके पहले दी गई गारंटी अब लोन की राशि को कवर नहीं करती. लेकिन दूसरी ओर, महंगाई की दर ज्यादा बढ़ने पर समाज के एक बड़े हिस्से के लिए अनिवार्य वस्तुएं और सेवाएं तक खरीद पाना मुश्किल हो जाता है. 

कीमतों का स्तर केवल वस्तुओं और सेवाओं की सप्लाई और डिमांड पर निर्भर करता है, पर साथ ही यह धन की आपूर्ति पर भी निर्भर है. इसीलिए तेज़ी से बढती महंगाई पर लगाम कसने के लिए सरकार ब्याज-दरें बढ़ा देती है, जिससे अर्थ-व्यवस्था में उपलब्ध पैसे ‘सूख’ जाते हैं और चीज़ों के दाम कम हो जाते हैं. मगर इसका एक परिणाम यह भी होता है कि लंबी अवधि में उत्पादन-क्षमता भी कम हो जाती है.

अगर अर्थ-व्यवस्था में अतिरिक्त क्षमता हो, या क्षमता बढाई जा सकती हो – तो धन की आपूर्ति बढाने से कीमतों का स्तर नहीं बढ़ता, बल्कि क्षमता का उपभोग बढ़ जाता है. भारत में अतिरिक्त क्षमता तो नहीं है, पर हम अपनी क्षमता बढ़ाना चाहते है. ऐसा करने के लिए यह आवश्यक है कि सतत माँगऔर बढ़ते मूल्य-स्तर दिखाई दें. ऐसा करने का एक अच्छा तरीका है “मेक इन इंडिया”. इस पहल से भारत में विदेशों से सतत माँग बनाई जा रही है, और इसके लिए भारत में क्षमता का विस्तार किया जाएगा. साथ ही, इससे भारत में धन की आपूर्ति भी बढ़ेगी. अगर आर्थिक विकास की दर इस धन-आपूर्ति की दर से कम होगी तो भारत में महंगाई भी बढ़ेगी. यही चीन में भी देखा गया हैं, जहाँ सरकार कृत्रिम ढंग से महँगाई को बांधे रखने में कामयाब नहीं रह पाई है. परन्तु भारत में अभी क्षमता-निर्माण की बड़ी संभावनाएँ हैं – इस कारण यह आशा की जा सकती है कि आर्थिक-विकास की डर बढ़ेगी और महँगाई पर वस्तुतः नियंत्रण लग सकेगा. 

- डॉ. पूर्णिमा शर्मा , 208-ए, सिद्धार्थ अपार्टमेंट्स, गणेश नगर, रामंतापुर, हैदराबाद – 500013. मोबाइल – 08297498775.